अरावली का मुददा विधानसभा में उठाकर हरियाणा के मजबूत नेताओं की श्रेणी में शामिल हो गए धनेश!!!

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अरावली का मुददा विधानसभा में उठाकर हरियाणा के मजबूत नेताओं की श्रेणी में शामिल हो गए धनेश!!!

 

चंडीगढ़/फरीदाबाद। अशोक शर्मा

(ashoksharma@hellohind.in)

हमेशा ही प्रवाह के विरुद्ध या लीक से हटकर कुछ करने वाले ही अपनी छाप छोड़ते हैं। ऐसा ही कुछ बीते दिनो हरियाणा की विधानसभा में हुआ। जब फरीदाबाद की बड़खल विधानसभा क्षेत्र से विधायक धनेश अदलक्खा ने विधानसभा में अरावली के फरीदाबाद क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण का मुददा उठा दिया। यहां बताए कि धनेश अदलक्खा सत्ताधारी पार्टी भाजपा के विधायक हैं।

धनेश अदलक्खा ने विधानसभा में कहा कि “”बड़खल की कुछ जरुरी मांगे है। बड़खल का एक क्षेत्र है अरावली। अरावली का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई बार आदेश दिए गए कि वहां अवैध निर्माण नहीं हो।परंतु वहां कभी अवैध निर्माण बैक्वेटहॉल बनने बंद ही नहीं हुए। तोड़ने के नाम पर जाते है और फॉरमलटी पूरी करके वापस आते हैं, लेकिन अब बीते 15 दिन से वहां पर फॉरेस्ट एक्ट लगा होने के बाद भी न डीएफओ देखना चाहता है न डीसी देखना चाहता है। उस पर अवैध कॉलोनी का निर्माण शुरू हो गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट में 31 अप्रैल की डेट है””। विधायक के इस बयान में कुछ तथ्यात्मक त्रुटिया हो सकती है। जैसे 31 अप्रैल की डेट विधायक जी ने बताई। लेकिन फरीदाबाद के लोग और पर्यावरण प्रेमी उनके भाव की तारीफ करते हैं। लोगो का विशेषकर पर्यावरणविद और राजनीति जानकार मानते है कि विधायक का यह बयान भाजपा के कुछ नेताओं और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं को घायल कर चुका है। इससे पहले भी धनेश अदलक्खा नगर निगम में बतौर पार्षद अपनी ताकत और मजबूती का एहसास शहर का करवाते रहे हैं और बड़खल के लोगों ने उनकी इसी मजबूती के मददेनजर एक इस कारण से भी उन्हें वोट भी किया है।

इस पर कांग्रेसी नेता और धनेश अदलक्खा के सामने चुनाव लड़ चुके विजय प्रताप ने एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कहा कि “” धनेश जी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी अरावली में उन्होने बोला है फार्महाउस बन रहे हैं, मैरिज गार्डन बन रहे हैं और अवैध निर्माण हो रहे हैं। पहली बात तो उन्हें स्पेसिफिक बोलना चाहिए और उनका उदबोधन ऐसा लग रहा था जैसे विपक्ष का एलएलए बोल रहा हो। सरकार में आप काम करवाईए। उन्होंने कहा कि उनके गुरु कृष्णपाल जी और मै इन्ही बैक्वेटहॉल मैरिज लॉन में आयोजित शादियो में जाता हूं। विधायक जी तो एक दो दफा ही मिले लेकिन वहां कृष्णपाल जी, और मै तो 20-25 साल से इन शादियो में जा रहे हैं। कृष्ण्पपाल जी स्पष्ट करे कि क्या वो इन बैक्वेटहॉलो के खिलाफ हैं””। ये पहाड़ मेवला, नवादा, अनखीर जैसे गांवों का है। यहां के लोग कहां जाएं। माइनिंग बंद करवा दी। जो लोग यहां पैदा हुए वो कहां जाए। मै तो कई दफा ऐसे लोगों को चुन देते हैं भाजपा वालो को। जो आपकी रोजी-रोटी के खिलाफ है। ये इलाका भाजपा ने तबाह कर दिया। अब ये नया आ गया बैक्वेटहॉल तुड़वाने के लिए।

ऐसे में माना जा रहा है कि विधायक धनेश अदलक्खा ने अरावली संरक्षण के लिए हिम्मत दिखाई है।

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दिल्ली-एनसीआर के लिए फेफड़ो का काम करती है अरावली

अरावली पर्वतमाला, दिल्ली-एनसीआर के लिए “फेफड़ों” की तरह काम करती है, जो इस क्षेत्र में अति गंभीर श्रेणी के वायु प्रदूषण से कुछ राहत देती है।यह पर्वतमाला एक प्राकृतिक हरित दीवार के रूप में कार्य करती है। यह भूजल पुनर्भरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह पर्वतमाला राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में फैली हुई है।

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अरावली में अवैध फार्म हाउस, बैंक्वेटहॉल जैसे स्थलों की भरमार

अरावली के वन आरक्षित क्षेत्रों में अवैध निर्माण की भरमार है। इनमें फार्म हाउस बैक्वेटहॉलजैसे स्थलों की संख्या ज्यादा है। यहां अवैध निर्माण का आलम यह है कि अकेले गांव अनंगपुर में ही 150 अवैध फार्म हाउस बने हुए हैं। नगर निगम की तरफ से करवाए गए सर्वे की रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है। जबकि अरावली की तलहटी में करीब बारह गांव बसे हैं। जिनका सर्वे अभी नहीं हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि संर्पूण अरावली का सर्वे करवाया जाए तो अवैध निर्माण की संख्या हजारों में पहुंचेगी।

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सुप्रीम कोर्ट दे चुका है अवैध निर्माण हटाने के आदेश

वन आरक्षित क्षेत्र में बने अवैध निर्माण को तोडने के लिए आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश दे चुका है। पर्यावरण प्रेमी विष्णु का कहना है जिला प्रशासन अरावली को गंभीरता से नहीं ले रहा है। यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना करते हुए धडल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं। सूरजकुंड थाने में दर्ज अरावली में गैर वानिकी कार्य वाले मामले इसकी तस्दीक करते हैं। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि अरावली को लेकर सरकार गंभीर नहीं हुई तो फिर पर्यावरण के लिहाज से लोगों के सामने बडी समस्या खडी हो जाएगी। विधायक ने बिल्कुल सत्यता के साथ विधानसभा में बात रखी है। करीब 150 फार्म हाउसों पर नहीं हुई कार्रवाई।प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

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फार्म हाउस, धार्मिक स्थलों तक रोड नेटवर्क

अरावली में आवाजाही के लिए बिछे रोड नेटवर्क, बिजली नेटवर्क जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खडा करता है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को चिढ़ाता है। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि अरावली में रास्ते बने हुए हैं।

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कोरोबार के जरिये से महत्वर्पूण बनी अरावली

अरावली को लोगों कारोबार के नजरिये से देख रहे हैं। यहां बने फार्म हाउसों में शादियां होती हैं और अरावली से निकले वाले सरकारी रोड के साइड में लोगों ने ढाबे, शराब के ठेके सहित अनेक दुकाने खोली हुई हैं। जगह-जगह मोबाइल के टावर भी लगाए हुए हैं। नगर निगम और वन विभाग की तरफ से की गई कई बार तोडफोड इसकी तस्दीक करती है।

 

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