
नई दिल्ली। अशोक शर्मा
….हजारो जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालो की आबरू रखती है? डॉ. मनमोहन सिंह की ये लाइने लाखो सवालो का जवाब था। जब यूपीए-2 सरकार भ्रष्टाचार के आरोपो में घिरी थी और प्रधानमंत्री शांत रहे। विपक्षी भाजपा नेताओं ने जब उन्हें जवाब देने पर घेरा तो उन्होंने ये ही कहा कि ….हजारो जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालो की आबरू रखती है?
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 92 वर्ष की आयु में गुरुवार रात करीब 9.51 बजे दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत देश-विदेश के राजनेताओं और आम लोगों ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली में उनके आवास पर अंतिम दर्शनो के लिए रखा गया है। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा। भारत सरकार ने उनके निधन पर सात दिन का राष्टीय शोक घोषित किया है।
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शिक्षा के बल पर जीवन के 92 में से 67 साल सरकारी रहे
डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव
-1957 से 1965 तक चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापक
-1969 से 1971 दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफ़ेसर
-1976 दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मानद प्रोफ़ेसर
-1982 से1985 भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर
-1985 से 1987 योजना आयोग के उपाध्यक्ष
-1990 से 1991 भारतीय प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार
-1991 से 1996 तक नरसिंहराव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वित्त मन्त्री और इस बीच 1991 स 1995 में दो बार असम से राज्य सभा के सदस्य चुने गए
-1996 में दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में मानद प्रोफ़ेसर
-1999 दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गए
-2001 में तीसरी बार राज्य सभा सदस्य और सदन में विपक्ष के नेता
-2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री
इसके अतिरिक्त उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक के लिये भी काफी महत्वपूर्ण काम किया है।
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