
-अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट पर हरियाणा सरकार हुई सक्रिय
चंडीगढ़/फरीदाबाद। अशोक शर्मा
अरावली में अवैध कब्जे करके मानव नहीं बल्कि वन्य प्राणियों को संरक्षण मिलेगा। हरियाणा सरकार अब केंद्र सरकार के अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट पर सक्रिय हो गई है। इसके तहत हरियाणा सरकार नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद इलाके में फैली अरावली में जंगल सफारी तैयार करेगी। जहां वन्य प्राणियों का संरक्षण होगा और वन्य प्राणी खुले आसमान में बगैर किसी मानव भय के सांस ले सकेगें।
इस संबंध में हरियाणा के पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव मंत्री राव नरबीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा अरावली क्षेत्र में एक महत्वाकांक्षी जंगल सफारी परियोजना और अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट की रूपरेखा की तैयारी है। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना है, बल्कि जैव विविधताए वन्य जीव संरक्षण और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करना भी है। उन्होंने बताया कि अरावली भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है, जो हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली सहित चार राज्यों में फैली हुई है और 1.15 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती है। केंद्र सरकार ने हरियाणा को अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट और जंगल सफारी का दायित्व सौंपा हैए जो पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक मील का पत्थर साबित होगा। राव नरबीर सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के दौर में पर्यावरण संरक्षण एक वैश्विक चिंता बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील होकर पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जा सकता है।
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हरियाणा वन विभाग तैयार कर रहा परियोजना
मंत्री राव नरवीर सिंह ने बताया कि यह परियोजना पहले पर्यटन विभाग के अधीन थी। अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश अनुसार इसकी जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई है। वे स्वयं नागपुर की गोरेवाड़ा सफारी और गुजरात की वनतारा परियोजना का दौरा कर चुके हैं। हरियाणा सरकार का लक्ष्य है कि इस मेगा प्रोजेक्ट का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से कराया जाए। अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के माध्यम से स्वदेशी प्रजातियों का वनरोपण, मृदा स्वास्थ्य में सुधार, भूजल पुनर्भरण और जैव विविधता को संरक्षित किया जाएगा। इससे न केवल हरियाणा के पर्यावरण को बल मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं को वन मित्र के रूप में तथा हरित रोजगार के अवसर सृजित होंगे। राव नरबीर सिंह ने आह्वान किया कि सभी को वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति संकल्प लेना चाहिए, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में इस बात का जिक्र किया था।
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महर्षि मार्कण्डेय की तपस्थली अरावली
अरावली पर्वत श्रंखलाओं में पुरानतकाल के कुछ साक्ष्य मिलने का दावा किया गया है। एक किदंवती के मुताबकि अरावली पर्वत श्रंखलाएं महर्षि मार्कण्डेय की तपस्थली रही है। इसके मददेनजर कुछ छात्र अरावली में अपना शोध कार्य को बढ़ावा देने रहे हैं। ऐसे में पुरातत्व विभाग अरावली पर्वत की कुछ श्रंखलाओं का संरक्षण करेगा। हरियाणा पुरातत्व एवं संग्राहलय विभाग अरावली के करीब छह सौ हेक्टेयर भूमि पर पुरातत्व के मददेनजर सर्वे का कराएगा। हरियाणा सरकार की खनन संबंधी एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पुरातत्व विभाग को सर्वे का कार्य जल्द पूरा करने के दिशा-निर्देश दिए थे। पुरातत्व एवं संग्राहलय विभाग अरावली में धौज, मांग, सिलावटी आदि इलाकों में सर्वे को प्राथमिकता पर पूरा करेगा। हरियाणा पुरातत्व व संग्रहालय निदेशालय के उपनिदेशक बनानी भट्टाचार्य का कहना है कि अरावली में 10 से 50 हजार साल पुरानी कुछ चीजें मिलने की संभावना है।
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दिल्ली एनसीआर के लिए जीवन रेखा है अरावली
अरावली बचाने के लिए पर्यावरणविद सुनील हरसाना कहना है कि अरावली पर्वत श्रंखलाएं दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए जीवन रेखा है। इसलिए इसका संरक्षण बेहद आवश्यक है। बढ़ते वाहन के बोझ से दिल्ली एनसीआर प्रदूषण से ग्रस्त हो चुका है। साल-दर साल वायु की गुणवत्ता बेहद खराब हो रही है। अरावली यहां फेफडो के रूप में काम करती है। पश्चिम से आने वाली गर्म हवा को अरावली ठंडा कर देती है। अरावली दिल्ली-एनसीआर के लिए जीवनदायनी मानी जाती है।
अरावली बचाओ अभियान के संयोजक जितेंद्र भड़ाना का कहना है कि जीव जंतुओं को उनके इलाके में ही सुरक्षा दी जाए। अरावली को तेजी से वृक्षविहीन किया जा रहा है। ऐसे में वहां जानवरों को भोजन पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। अन्यथा खतरनाक जानवर आबादी की तरफ रुख करेंगे। जहां वे आवारा पशु और कुत्तों को अपना शिकार बनाते हैं। जितना तेजी से जंगल खत्म होंगे, खतरनाक जानवर भी आबादी के नजदीक उसी तेजी से आएंगे।
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फरीदाबाद में कुछ जंगली जानवरों की संख्या पर एक नजर
मोर: 15000, तीतर: 15000, सेह: 200, पहाडी हिरन: 150, नील गाय: 200, चिंकरा: 14, बंदर: 20000, गीदड़: 7000 व तेंदुआ: 31, जंगली बिल्ली: 300, खरगोश: 20000- आदि
(जंगली जानवरों की संख्या लगभग हैं और फरीदाबाद वन्य प्राणी विभाग से ली गई है)
——-अशोक कुमार


