-जल्द नियमित होगें अनियमित औद्योगिक क्षेत्र
चंडीगढ़। अशोक कुमार
हरियाणा सरकार जल्द ही प्रदेश में नई उद्योग नीति तैयार करेगी। जिससे प्रदेश के उद्योगों को राहत मिलेगी। उद्योगपतियों को सरकारी दफ्तरो के चक्कर काटने से छुटकारा मिलेगा। नई द्योगब नीति के तहत विभागीय पोर्टल पर इकाई को दर्ज करना होगा। इसके बाद से सरकारी सुविधाओ का लाभ मिल सकेगा। इसके तहत जल्द अनियमित औद्योगिक क्षेत्र
नियमित होगें।
हरियाणा में उद्योगों को बढ़ावा देने और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बड़ा ऐलान किया है। राज्य सरकार उद्यमियों की चुनौतियों को कम करने के लिए नीतियों को सरल बनाने जा रही है। साथ ही, हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन केंद्र (HEPC) से जुड़े मुद्दों की खुद मुख्यमंत्री हर तीन महीने में समीक्षा करेंगे, ताकि उद्योगों की जरूरतों को प्राथमिकता दी जा सके।
बजट पूर्व परामर्श बैठक में हुए बड़े फैसले: मुख्यमंत्री फरीदाबाद में बजट पूर्व परामर्श बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के हितधारकों ने अपने सुझाव रखे। बैठक में उद्योगपतियों और निवेशकों की मांगों पर चर्चा हुई और उन्हें आगामी बजट में शामिल करने का आश्वासन दिया गया। इस बैठक में कई प्रमुख नेता और अधिकारी शामिल रहे, जिनमें उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री राजेश नागर, खेल राज्य मंत्री गौरव गौतम सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
उद्योगों के लिए बड़े बदलाव की तैयारी: मुख्यमंत्री सैनी ने बताया कि हरियाणा बीते वर्षों में उद्योग, कृषि, शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने, युवाओं को कौशल विकास से सशक्त करने और समाज कल्याण को प्राथमिकता देने के लिए आगामी बजट में ठोस कदम उठाए जाएंगे।



हरियाणा सरकार की नई उद्योग नीति का कदम प्रदेश के औद्योगिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल उद्यमियों को सरकारी प्रक्रियाओं में सहूलियत मिलेगी, बल्कि अनियमित औद्योगिक क्षेत्रों के नियमितीकरण से उद्योगों को भी संरचनात्मक स्थिरता प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा HEPC से जुड़े मुद्दों की व्यक्तिगत समीक्षा एक सकारात्मक संकेत है कि सरकार उद्योगपतियों की चुनौतियों को गंभीरता से ले रही है। बजट पूर्व परामर्श बैठक में हितधारकों की भागीदारी इस बात को दर्शाती है कि नीति निर्माण में सभी पक्षों की राय को महत्व दिया जा रहा है।