हरियाणा में भाजपा की जीत के मायने।।
चंडीगढ़। अशोक शर्मा (ashoksharma@hellohind.in)
हरियाणा में भाजपा की जीत ने देश को कई सबक दिए। हरियाणा में भाजपा की जीत से केंद्र सरकार को मजबूती मिलेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबकि इस जीत की गूंज दूर दूर तक जाएगी। साथ ही भाजपा के लिए हरियाणा हिन्दुत्व और जातिगत देखे तो (ओबीसी दलित) की नई प्रयोगशाला बनकर उभरा है। इस चुनाव में भाजपा हरियाणा की 35 बिरादरियों को विश्वास दिलाने में कामयाब रही कि वह एक जाति विशेष की दमनकारी रवैये से मुक्ति दिला सकती है और उनके बच्चो को नौकरी बिना खर्ची-पर्ची के केवल भाजपा के शासन में ही मिल सकती है। अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो केवल एक ही जाति विशेष के लोगों का नौकरियों और अन्य संसाधनों पर कब्जा हो जाएगा। कांग्रेसी नेता कुमारी शैलजा के साथ जाति सूचक गाली गलौज की वीडियों ने दलित मतदाता को कांग्रेस के विरुद्ध किया।
ऐसे में भाजपा को मतदान करने वाले शांत रहे और चौधरी साहब हां जी-हां जी मिलाते हुए चुपचाप मतदान करके आ गए। चौधरियो ने समझा कि उनके खेतो में मजदूरी करने वाले या गांव के गरीब लोग उनके डराने या उनके दवाब में उनके मुताबिक वोट करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संभवत: अब ये ही प्रयोगशाला आने वाले कुछ चुनावों में भी चलेगी।
इस जीत की नीव वर्ष 2021 में ऐलनाबाद सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को करीब 59 हजार वोट प्राप्त हुए थे, यहां भाजपा (मनोहरलाल सरकार) की सकारात्मक राजनीति को स्वीकार किया और तय हो गया था कि 2024 में चुनाव भाजपा के साथ अन्य पार्टियो का होगा। यह पहला मौका रहा जब भाजपा 90 में से 48 जीती और 32 पर दूसरे नंबर पर रही। अर्थात 80 सीटों पर भाजपा रोचक मुकाबले में रही। इससे पहले भाजपा को जीटी रोड और शहर की पार्टी माना जाता था। इसलिए भाजपा के लिए यह जीत खास है।
जाति विशेष और धर्म विशेष के चौधरियों ने मचाया भौकाल कि कांग्रेस की सीटे 70 से अधिक आएगी। चैनल के लोग सर्वे करने वाले लोग भी इन्ही चौधरियों के पास गए और कांग्रेस की जीत के आंकडे गढ़ दिए। अधिकांश चैनलो ने हरियाणा में जाटो की आबादी 25 फीसदी बताई, इन्हें ये आंकड़ा कहां से मिला? ऐसी कोई गणना हुई ही नहीं। लेकिन भौकाल मचाने के लिए ये काफी था। जीत से पहले ही आम लोगों को डराने-धमकाने का खेल शुरू हो चुका था। अधिकांश अपराधिक किस्म के लोग कोई अपने नेता को सीएम तो कोई डिप्टी सीएम वाला रौब दिखाने लगे थे। लेकिन टीवी चैनल पर बैठकर बड़े-बड़े मोदी विरोधी पत्रकारों ने कांग्रेस की हवा बनाई और लोगों को लगा कि अधिकांश पत्रकार भी राष्ट्र विरोधी ताकतो के समर्थन में हैं। भाजपा से जुड़े लोगों के मुताबिक तो यह चुनाव केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही नहीं बल्कि भाजपा और विश्व की ताकतो के बीच भी था।
व्हटसअप यूनिवर्सिटी और भाजपा से जुड़े लोगों ने कांग्रेस को राष्ट्रविरोधी साबित किया। आम लोगों के दिमाग मे यह बैठ गया कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब देश को राष्ट्रद्रोहियों के हाथो में सौंपने जैसा है। कुछ लोग भूपेंद्र सिंह हुडडा की तारीफ तो करते लेकिन वोट पंजे पर देने को तैयार नहीं थे। फरीदाबाद एनआईटी का उदाहरण प्रस्तुत है कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा के साथ काफी लोग लगे थे, लेकिन उनमें से अधिकांश ने बताया कि वोट भाजपा को ही देगें। ऐसा हुआ भी। कांग्रेस के कुछ दमदार मुददो को दरकिनार करते हुए मतदाताओं ने मोदी को वोट दिया। कई क्षेत्रों में भ्रष्टाचार और अपराधिक गतिविधियों के अरोपी उम्मीदवारों का लोगों ने विरोध भी किया, लेकिन अंत में वोट मोदी के नाम पर दिया।
इस चुनाव में सांसद कुमारी शैलजा के प्रति साहनुभूति दिखाने का फायदा हुआ। शैलजा के साथ जाति सूचक गाली गलौज की वीडियों ने दलित मतदाता को कांग्रेस के खिलाफ किया। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस शासनकाल के दलितो के अत्याचारो के मामलो को उठाकर ये साबित किया कि कांग्रेस विशेषकर जाति विशेष के नेताओ के शासन में दलित और गरीब सुरक्षित नहीं है। इससे दलित वोटबैंक काफी संख्या में कांग्रेस से छिटक गया। भले ही वो पूरा भाजपा को नहीं मिला हो। लेकिन उसका बंटना भी भाजपा के पक्ष में गया।
मनोहर सरकार की कुछ नीतियो ने व्यवस्था परिवर्तन का प्रयास किया, जिसका लाभ आम लोगों को मिलने लगा। इसने भाजपा के मतदाता के विश्वास का सशक्त किया।


